12 जुलाई 2012
न्यूयार्क। यूरोप में लम्बे समय से जारी आर्थिक सुस्ती के कारण अगले चार साल में 45 लाख नौकरियां जा सकती हैं। अंतर्राष्ट्रीय श्रम संगठन (आईएलओ) की रिपोर्ट के अनुसार, "संकट के समाधान और कर्मचारियों तथा उद्यमों का विश्वास व समर्थन हासिल करने के लिए कोई ठोस नीति अपनाए बगैर यूरोप में सुधारों को लागू करना कठिन होगा, जो क्षेत्र में स्थिरता एवं विकास के लिए बेहद आवश्यक है।"
'यूरोजोन जॉब क्राइसिस : ट्रेंड्स एंड पॉलिसी रेस्पांस' शीर्षक से प्रकाशित रिपोर्ट के अनुसार, इस बात के ठोस साक्ष्य हैं कि यूरोपीय श्रम बाजार वर्ष 2008 में विश्व अर्थव्यवस्था में आई मंदी से अब तक नहीं उबर पाया है। सरकारों ने खर्च में कटौती की जो नीति अपनाई है, उससे नौकरियां जाने का खतरा बढ़ गया है।
रिपोर्ट में कहा गया है कि यूरोप में पहले ही संकट के कारण केवल 35 लाख नौकरियां रह गई हैं। समान मुद्रा अपनाने वाले यूरोप के करीब आधे देशों में साल की शुरुआत से अब तक रोजगार की संख्या कम हुई है।
रिपोर्ट के मुताबिक यूरोप में करीब 1.74 करोड़ लोग नौकरियां तलाश रहे हैं और सरकारें यदि रोजगार केंद्रित नीतियां अपनाती हैं तो इससे अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने में मदद मिल सकती है।
आईएलओ की रिपोर्ट में खासकर युवाओं में बेरोजगारी की स्थिति पर चिंता जताई गई है। इटली, पुर्तगाल, ग्रीस तथा स्पेन जैसे यूरोप के दक्षिणी देशों में युवाओं में बेरोजगारी की दर 22 तक प्रतिशत है। ग्रीस और स्पेन में तो युवा बेरोजगारी की दर 50 प्रतिशत से भी अधिक है।
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